"इस बारिश से मुझे प्यार है बोहत, मेरी तनहाइयों का इसे आभास है बोहत, जब-जब ये बारिश आयी मुझसे मिलने, चहरे पे अश्क होते ठे मेरे........., मेरी तनहाई समझ गयी ठी येह, हमेशा साथ मेरे रोटी रही येह, मैने कह तुम जाओ,मुझे अकेले रहने दो, इस पर वो बोली,मुझे भी अपने साथ रोने दो, फिर ना वो कुछ बोली,ना मैं कुछ बोली, गुमसुम रोटी रही मैं अकेली........., जब जब वो आती,मुहे इस्सी हाल मे पाती, मैं भी उससे आंखे ना ठी मिला पाती, आज फिर बोहत दिन बाद ये बारिश आयी, और आज उसने मेरे होंठों पे हंसी पायी, खुश हो गयी.....तेज बरस पडी.........., मेरे साथ वोह भी खिलखिलाकर हान्स पडी, मैने पूछा तुम क्यों हान्स रही हो आज, उसने कह मेरी दोस्त जो खुश है आज...., फिर आंसू झलक पडे मेरी आँखों से, पर इस बार खुशियों कि चमक ठी इन आँखों मे, फिर मैने उसे सब कुछ बताया, दिल का किस्सा उसको सुनाया............., बोहत खुश हुई वो सब कुछ सुन कर, फिर चली भी गयी दुआएं दे कर, वादा लिया मैने उससे फिर जल्दी आने का, उसे हर बात दिल कि बताने का....., फिर मैने सोचा यही तो है मेरी साथी, मेरा चेहरा देखकर जो है हंसती-रोटी."
0 comments:
Post a Comment